इस बाल दिवस बड़े हो चुके नासमझ (Over Smart) बच्चों के लिए सन्देश !
भारत में काम की कमी नहीं हैं फिर भी गर्दन घुमा के देखोगे तो अडोस पड़ोस में 10-20 बेरोजगार टाइप के नौजवान दिख जाएँगें पर समस्या यह है की काम करने वालों की कमी है क्योंकि इन अलसी टट्टुओं को करना कुछ नहीं है और चाहिए बहुत कुछ, MS-Office ठीक से नहीं आता लेकिन एयर कंडीशंड ऑफिस की ख्वाहिशों की तमन्ना है l
माँ बाप की गाढ़ी कमाई से पता नहीं कौन कौन से कौर्स करके सर्टिफिकेट ले लिए लेकिन आता जाता क्या है खुद को नहीं पता, 8 घन्टे के नौकरी में अगर 30 मिनट एक्स्ट्रा रुकना पड़ जाए तो ऐसा लगता है जैसे किसी ने प्राण मांग लिए हो, लेट आना, जल्दी जाना, बंक मारना, दिन भर दोस्तों से, गर्ल फ्रेंड / बॉय फ्रेंड से बतियाना, दो – चार विडिओ रोज, गेम्स इन सबके बिना जैसे इन्हें ओक्सिजन नहीं मिलती या पेट में अजीर्ण हो जाता है l
6-8 घंटे काम करते हैं 24 घंटे में उसमे भी सारा निजी जीवन बिताना जरुरी है, अकड़ किस बात की समझ नहीं आता ऊपर से धन्य है माँ बाप जो 10000 की नौकरी के इंटरव्यू के लिए जाने वाली अपनी फूल से कोमल औलाद को 1 लाख की बाइक और 50000 का फ़ोन दिला कर भेजते हैं, आज तक सैकड़ों युवाओं से मिला बहुत समझाया 4-5% को भी बात समझ नहीं आई और फिर सोश्यल मिडिया पर बैठ कर सरकार, किस्मत और सिस्टम को कौसते हैं l
कोई इन्हें समझाओ रे की 100-200 लाइक्स से जीवन में कुछ नहीं होता और फिर भी वो सब पसंद है उधर भी कमाई का जरिया है वहां पूरा दिमाग लगा लो ना, इन्टरनेट पर ज्ञान बाटने से लेकर बकर करने का पैसा मिलता है जो आता है उसे ढंग से सीख लो या कर लो तो क्या बिगड़ जाएगा l
3-4 महीने में जिस ऑफिस में बैठ कर काम करते हैं वही का कंप्यूटर और इन्टरनेट लेकर दूसरी नौकरी ढूंढते हैं, घर वाल फीस भर दें तो क्लास जाने में जोर आता है हाँ यह वही पीढ़ी है जो कभी पीवीआर लेट नहीं पहुंची, दोस्तों का बर्थडे नहीं भूली लेकिन एग्जाम 2 दिन बाद है ये भूल जाते हैं l
मैं जानता हूँ यह सब पढ़ते हुए कई युवा खुद को आईने में देख पा रहे होंगें या आपको अपने आजू बाजू वालों के चेहरे याद आ रहे होंगें पर रुकिए कहानी अभी बाकी है ….
इस जनरेशन के कुछ बच्चे तो इतने महाआलसी हैं की चेहरा साफ़ दिखने के लिए चेहरा नहीं धोएंगें इन्टा कग्राम का फ़िल्टर लगा देंगें या ब्यूटी एप्प्स का इस्तेमाल कर लेंगें, इनको सुबह की चाय से लेकर शाम का खाना तक कोई बिस्तर में दे दे तो जन्नत का एहसास हो जाता है, देश की अर्थव्यवस्था खस्ता होने में किसे जिम्मेदार ठहराउं यह तो पता नहीं पर इनकी ख़राब हालत के जिम्मदार ये खुद है l
EMI पर फोन लेते हैं पर फोन बेच कर EMI चुकाने का कह दो हार्ट अटैक आ जाएगा, जॉब चाहिए का टैग लेकर हाथ में रिज्यूमे लेकर घूमते हैं यह जानते हुए की या तो वो अधिकांश नौकरियों के लिए काबिल नहीं है या जो नौकरी मिल रही है उसके हिसाब से उनकी हैसियत ज्यादा है पर उसे बस जॉब करना है ताकि घर वालों के तानों से बच सके, दो चार नए दोस्त मिल सके, थोडा पॉकेट मनी मिल जाए बाकी तो पिताजी हैं ही तो लोड किस बात का आखिर दादा दादी ने पिताजी को लायक बनाया ही इनके नखरे उठाने के लिए है l
आधे से ज्यादा ऑफिस में कर्मचारी ग्राहक या काम को जितना नोटिस नहीं करता उतना वो फोन पर पल पल में रहे बकवास नोटीफिकेशंस में मशगुल है, आज अगर कह दिया जाए की कल से ऑफिस में फोन बंद है तो कई कंपनी इसलिए डूब जाएगी क्योंकि ये महान विभूतियाँ नौकरी छोड़ देगी, यह बिना नौकरी या व्यव्स्याय के रह सकते हैं पर बिना मोबाईल के नहीं l
इन्हें कब समझ आएगा की फतहसागर पर दुसरे की चमचमाती कार के सामने खड़े होकर इन्स्टा पर डालने से अच्छा है की कार खरीदने की हैसियत बनाए, जॉब मांगने की जगह जॉब देना सीखो, व्यापार नहीं कर सकते अपने कंपनी के बिना लेन देन किए पार्टनर बन जाओ, कंपनी के नफा नुक्सान से दिल लगा लो, जिंदगी पलट जाएगी, सचिन बंसल, रितेश अग्रवाल, श्रद्धा शर्मा, विजय शेखर शर्मा, कुनाल सेठ, भुवन बम, गौरव चौधरी ये लोग क्या चाँद की मिटटी से बने हैं अगर यह कर सकते हैं तो ये सो काल्ड बच्चे नहीं कर सकते क्या ?
अगर आप के अन्दर भी ऐसा कोई बच्चा है या आपके आस पास ऐसा कोई बच्चा है तो आज ही उसे बड़ा बना लेवें या उसकी मदद करें वरना जिंदगी बहुत छोटी लगने लगेगी, कडवे शब्दों से अगर किसी को बुरा लगा हो तो माफ़ी चाहता हूँ पर इस देश की नौजवानों की स्थिति देखर बहुत दिल दुखता है तो आज भावनाओं पर संयम नहीं रहा पाया
धन्यवाद
– वरुण सुराणा